Masturbation Right Or Wrong In Hindi






                                 Masturbation Right Or Wrong In Hindi

जब मैं आठवीं कक्षा में पढ़ता था तो मेरे मित्र ने मुझे हस्त मैथुन करना सिखाते हुए बताया था कि इसे कभी कभी ही करना चाहिए क्योंकि ज़्यादा करने से कमज़ोरी आ जाती हे । मैंने इसे गम्भीरता से नहीं लिया और मुझे इस का कोई पछतावा नहीं हे । इतने वर्षों बाद आज जब मेरे पास अनेकों मरीज़ पूरे विश्वास से बताते हे कि उनकी सभी समस्याएँ हस्त मैथुन जैसी ग़लत आदत के कारण हुई हे तो मुझे लगता हे कि हमारी सारी पड़ाई और वेज्ञानिक सोच व्यर्थ हो गयी।

सेक्स समस्या , मानसिक समस्या और शारीरिक समस्या आदि आदि सभी का कारण हस्त मैथुन और नींद में वीर्य डिस्चार्ज को माना जाता हे । गोयाकि इस मामूली से शरीर के स्राव वीर्य को एक सम्पूर्ण शक्ति स्रोत बना दिया गया हे जिसके निकलने से बर्बादी हो जाती हे। मैंने अनेक विज्ञापन भी देखे जिनका शीर्षक होता हे ” बचपन की ग़लतियाँ ”


यानि हस्त मैथुन को बचपन की ग़लतियाँ बता कर अनेक लोग सेक्स के बारे में गम्भीर भ्रांति फैला रहे हे । इसे तुरंत रोके जाने की आवश्यकता हे ।


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क्या ये विचार कि हस्त मैथुन से अनेक बीमारियाँ हो जाती हे- हमारे देश के किसी वेज्ञानिक इलाज की पद्धति जैसे आयुर्वेद या अन्य देसी इलाज पद्धति की देन हे ? आप को पता होगा कि सेक्स के लिए सदा ही हमारा दृष्टिकोण बहुत स्वस्थ रहा हे जैसा कि आज से सदियों पहले अजंता अलौरा की मूर्तियों तथा कामसूत्र जैसे अमूल्य ग्रंथ से पता चलता हे। हमारे समाज में “काम” को धर्म एवं अर्थ की तरह जीवन की मूल भूत आवश्यकता माना गया हे। जबकि पश्चिम का सेक्स के प्रति दक़ियानूसी रवैया जग ज़ाहिर है।


असल में इस सारे गड़बड़ झाले की शुरुआत 1712 में युरोप के एक अनजान पोर्नोग्राफेर एवं झोला छाप डॉक्टर जान मार्टिन के एक लेख से हुई जिसे ओननीय के नाम से पुकारा गया। इसमें बताया गया कि वीर्य इंसान की शक्ति का स्रोत होता हे इसलिए हाथ से वीर्य निकालने के अति गम्भीर परिणाम होते हे। ऐसा करने से आप दूषित हो जाते हे और अनेकों अनेक शारीरिक , मानसिक एवं सेक्शूअल बीमारी हो जाती हे। इस लेख को आधार बना कर समाज के लोगों की रक्षा हेतु हस्तमैथुन के ख़िलाफ़ आंदोलन चला जिसमें लोगों के प्राइवट पार्ट पे अजीब प्रकार का ताला भी लगा दिया जाता था जिससे वह हस्त मैथुन न कर सके। फिर बाद में कई अन्य सामयिक डाक्टर्ज़ ने भी इसी का समर्थन किया और उन्निसवी शताब्दी के अंत तक पूरे यूरोप में यही धारणा बनी रही।


हमारे देश को दासता की बेड़ियों ने जकड़ रखा था जिससे हम अपनी असल सोच भूले हुए थे । हमारे लिए भी सेक्स शब्द के साथ ” गंदा” एवं वीर्य डिस्चार्ज से कमज़ोरी जैसे शब्द जुड़ गए और अब भी हम ऐसा ही मानते हे। ये बिलकुल ग़लत हे। सेक्स जीवन का एक ख़ूबसूरत एहसास हे और वीर्य शरीर का एक सामान्य सा द्रव्य । ये पूरे जीवन लगातार बनता रहेगा । यदि आपने सेक्स या हस्तमैथुन से वीर्य डिस्चार्ज कर दिया तो कोई ग़लत नहीं हुआ, वो फिर अपने आप बन जाएगा।


इसलिए कृपया याद रखे, हस्तमयथुन एक पूरी तरह सामान्य क्रिया हे जो एक अत्यंत आवश्यक सामाजिक कार्य भी करती हे। युवा अवस्था होने पर सेक्स करने की इच्छा एकदम बलवती हो जाती हे । हस्तमैथुन ऐसे में समाज को सेफ़्टी देता हे क्योंकि इस के अभाव में सेक्स जैसी नेसर्गिक इच्छा की पूर्ति के लिए लोग बलात्कार जैसे अपराध ज़्यादा करने लगेंगे इस लिए ये एक सुरक्षित सर्वथा उपलब्ध साधन हे ।


तो क्या ये पूरी तरह सामान्य क्रिया हे? ऐसा भी नहीं हे।


कई परिस्थितियों में ये एक समस्या बन जाता हे यदि


1- आप इसे एकांत में न करके सबके सामने करे। इसे Exihibitionism कहते हे और एक ग़ैर क़ानूनी गतिविधि हे। इस से आप पर आपराधिक मामला बन सकता हे।


2- आप सेक्स के आनंद के लिए अत्यधिक व्यग्र हो और अपनी अपेक्षित कर्तव्य और दूसरे कार्यों की उपेक्षा करे । ऐसे लोग हाइपर सेक्शूऐलिटी से पीड़ित होते हे। दिन में कई बार हस्तमैथुन करते हे और दूसरे तरीक़ों से सेक्स का पीछा करते हे ।


3- आप शादी के बाद उपयुक्त पार्ट्नर उपलब्ध होने के बावजूद इसे ही सेक्स पूर्ति का साधन बना ले। अपने जीवन साथी की उपेक्षा संबंधो में तनाव ला देती हे और सम्बंध विच्छेद होने में देर नहीं लगती।


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